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डॉ. भीमराव आंबेडकर के शब्दों में समाज का मार्गदर्शन: ज्ञान से सशक्ति की ओर

  डॉ. भीमराव आंबेडकर के शब्दों में समाज का मार्गदर्शन: ज्ञान से सशक्ति की ओर


जानिए कैसे डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचार हमें समाजिक न्याय और समरसता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।


रामनगर, मध्यप्रदेश - डॉ. भीमराव आंबेडकर, भारतीय समाज के महान दार्शनिक, नेता, और संविधान निर्माता थे, जिन्होंने अपने जीवन में ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका दी। उनके विचारों ने समाज को एक नए दिशा में अग्रसर करने का मार्ग दिखाया।


डॉ. आंबेडकर के शब्दों में, "रामायण पढ़ोगे तो पत्नी पर शक करना ही सीखोगे, महाभारत पढ़ोगे तो भाई के साथ झगड़े करना ही सीखोगे, और संविधान पढ़ोगे तो इन सबके सम्मान और अधिकार के लिए लड़ना सीख जाओगे।"


इस उक्ति से हमें डॉ. आंबेडकर का संदेश स्पष्ट होता है कि ज्ञान की शिक्षा केवल ज्ञान देने के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह समाज को बेहतर बनाने के लिए और समरसता की दिशा में हमें उनके संदेशों से समझना चाहिए।


डॉ. आंबेडकर के सोचने का यह तरीका समाज में समानता, न्याय, और समरसता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका संविधान निर्माण काम भारतीय समाज को समाजिक और आर्थिक रूप से अधिक उच्चाधिकृत बनाने में मदद कर रहा है।


आदिवासी समुदाय के प्रदेश कोषाध्यक्ष, रायताड़ पुष्पा सिंह परस्ते, ने डॉ. आंबेडकर के विचारों का महत्व समझते हुए उनके संदेश को आज के समय में अपनाने की आवश्यकता को बताया है।


गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन के इस प्रमुख के द्वारा बताया गया कि हम सभी को डॉ. भीमराव आंबेडकर के शब्दों का मानना और उनके संदेश को आजमाना चाहिए, ताकि हम समाज में समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ सकें।


जब हम डॉ. आंबेडकर के विचारों का समर्थन करते हैं, तो हम समाज को समृद्धि और सामाजिक समरसता की ओर बढ़ाने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं।


इस बारीक शब्दों में, डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचार हमारे समाज के विकास के लिए एक मार्गदर्शक हैं, और हम सभी को उनके संदेश का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए।


आदिवासी समुदाय के नेता, रायताड़ पुष्पा सिंह परस्ते, का इस संदेश को साझा करने का हमारा धन्यवाद।


जय भीम, जय जोहार, जय आदिवासी!


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