आदिवासी गीत, भजन, डीजे टीमली गफुली, में मस्त, ना संविधान की जानकारी, ना अनुच्छेद की जानकारी, ना अनुसूचियों की जानकारी, ना ही मान मर्यादा, भाईचारा की जानकारी, ना समाज के रीति रिवाज की जानकारी,
अब विश्व आदिवासी दिवस पर, सिर्फ डीजे, ढोल सहनाई, पर शराब के नशे में नाचना कुदना यह कैसा आदिवासी दिवस मनाने का रिवाज निकला है!!!!??,
होना तो यह चाहिए कि इस दिन हर एक पंचायत में हर एक आदिवासी को संविधान के बारे में जानकारी हो कि, हक अधिकार क्या होते है, और क्या मिल रहा है,क्या होना चाहिए इन सब पर विचार विमर्श करते हुए
आदिवासी दिवस मनाना चाहिएओ आदिवासी को एकता सुत्र में बाधने के लिए विश्व आदिवासी दिवस पर समाज के सामने मंच पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले एंव अच्छे पदो पर चयन होने वाले हरेक आदिवासी को सम्मानित कर होसले बुलंद करने चाहिए, इस दिवस पर अच्छे समाज सेवा कार्यकर्ताओं को संविधान के मुख्य बिन्दु को लिख कर लाखों की संख्या में पर्चे छपवा कर, बाटने चाहिए ताकि हर घर एकं अच्छा संदेश पहुँच सकता है , जय आदिवासी, 🙏🙏